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Jyotish Corner: हमारा सौरमंडल और “वृषभ राशि”

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प्रिय पाठको जय सियाराम,

अब तक हमने पहले तीन नक्षत्र अश्विनी, भरणी, कृत्तिका (अश्विनी के 4 चरण, भरणी के 4 चरण और कृत्तिका के प्रथम) चरण के युग्म से बनने वाली ज्योतिष शास्त्र की प्रथम राशि मेष के बारे में जानकारी प्राप्त की थी उसी क्रम में हम आगे की वार्तालाप करेंगे, मित्रों यहाँ पर जो मैं लेख लिखता हूँ उसका सभी इष्ट मित्रों को लाभ हो और ज्योतिष की सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी प्राप्त हो सके ऐसा हमारा प्रयास है।

प्रिय पाठको आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आप लोगों को भचक्र की दूसरी राशि वृषभ के बारे में वार्तालाप कर रहे हैं, भचक्र में जो दूसरी राशि वृषभ है उसका फैलाव 30 अंश से 60 अंश तक है इस राशि के स्वामी शुक्र देव है इस राशि का गठन कृतिका नक्षत्र के पहले चरण को छोड़कर शेष तीन चरण, रोहिणी नक्षत्र के चारों चरण और मृगशिरा नक्षत्र के पहले दो चरणों के मिलने से वृषभ राशि जो कि ज्योतिष में अपना दूसरा स्थान रखती है उसका निर्माण होता है, इस राशि में जो 9 चरण हैं वह मैंने आपको पहले ही बता दीजिए जो पाठक अब भी नहीं समझ पाए हैं उनके लिए मैं सरलता पूर्वक बता रहा हूं कृतिका नक्षत्र का दूसरा, तीसरा, चौथा चरण और रोहिणी नक्षत्र का पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा चरण और मृगशिरा नक्षत्र का पहला एवं दूसरा चरण इस प्रकार इन तीनों नक्षत्रों के चरणों को मिलाने से 9 चरण प्राप्त होते हैं इनके एक साथ जोड़ने पर हमको वृषभ राशि प्राप्त होती है, जिसका रोल नंबर ज्योतिष के अंदर 2 है, अगर आपके पास जन्मपत्रिका रखी है और उसके चार्ट के अंदर कहीं पर भी दो नंबर लिखा हुआ है तो आप सहज ही समझ लीजिए की यह वृषभ राशि की ओर इशारा है दो नंबर का मतलब वृषभ राशि ही जाने, मित्रों मैंने आपको ऊपर यह बता दिया कि वृषभ राशि के स्वामी शुक्र होते हैं. कृतिका नक्षत्र के स्वामी सूर्य रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्र और मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल होते हैं, वृषभ राशि के जो जातक होते हैं उनके अंदर सूर्य चंद्र एवं मंगल के संयुक्त गुण देखने में आते हैं नीचे की सारणी में आप लोगों की सुगमता हेतु प्रत्येक नक्षत्र के चरण के हिसाब से क्रमशः चार चार अक्षर लिखे हुए हैं आप यह देखें कि चंद्रमा आपकी कुंडली में किस नक्षत्र में थे, उसके हिसाब से आप इस सारणी से यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि आपका नाम अक्षर किस शब्द से प्रारंभ होगा. प्रिय पाठको नीचे की जो सारणी है उसके बारे में मैं आपसे यह बोलना चाहूंगा कि इसको आप कहीं पर सहेज के रखें यह आपके बहुत कार्य आने वाली है आज हमने आपको ये बता दिया है कि वृषभ राशि का जो गठन होता है वह किस प्रकार होता है, आगे के लेख में वृषभ राशि के ऊपर वृहद चर्चा करूंगा और आप लोगों को यह बताने की कोशिश करूंगा की वृषभ राशि का मानव जीवन पर क्या प्रभाव रहता है वह व्यक्ति जो वृषभ राशि अथवा वृषभ लग्न के है उनके लिए कौन से ग्रह उत्तम है और कौन से विपरीत है इसके ऊपर भी आगे के लेखों में चर्चा करता रहूंगा ।

  ग्रह केतुशुक्रसूर्यचंद्रमंगलराहुगुरुशनिबुध
नक्षत्र अश्विनीभरणीकृत्तिकारोहिणीमृगशिराआर्द्रापुनर्वसुपुष्यआश्लेषा
नक्षत्र के नामाक्षर चू, चे, चो ,लाली, लू, ले, लोअ, इ, ऊ. ऐओ, व, वि, वूवे, वो, का,कीकू, घ,ड, छके, को, ह, हिहु, हे, हो, डाडी, डु, डे, ड़ो
 
नक्षत्रमघापूर्वाफाल्गुनीउत्तराफाल्गुनीहस्तचित्रास्वातीविशाखाअनुराधाज्येष्ठा
नक्षत्र के नामाक्षरम़ा, मी, मू, मेमो, टा, टी, टूटे, ढो, पा, पीपू, ष, ण, ठपे, पो, रा, रीरू, रे, रो, ताती, तू, ते, तोना, नी, नू, नेनो, या, यी, यू
 
नक्षत्रमूलपूर्वाषाढ़ाउत्तराषाढ़ाश्रवणधनिष्ठाशतभिषापूर्वाभाद्रपदउत्तराभाद्रपदरेवती
नक्षत्र के नामाक्षरये, यो, भा, भीभू, ध, फ, ढभे, भो, जा, जीखी, खू, खे, खोग, गी, गू, गेगो, सा, सी, सूसे, सो, दा, दीदू,थ, झ,दे, दो, चा, ची
इस सारणी में केतु गृह के नीचे अश्विनी,मघा,मूल तीन नक्षत्र लिखे हैं इन तीनों नक्षत्र का स्वामी केतु है इसी प्रकार अन्य को भी समझें।  

आज इतना ही, आगे के लेखों में इसके आगे की चर्चा करता रहूंगा और आपको ज्योतिष संबंधित जानकारियों से अवगत कराता रहूँगा। वो पाठक जो किसी समस्या से ग्रस्त हैं हमें लिख सकते हैं हम प्रयास करेंगे कि उनके प्रश्नों के उत्तर कमेंट बॉक्स में दे सकें।

आप हमसे Paid Consultation भी प्राप्त कर सकते हैं जिसके लिए आप नीचे दिए जा रहे नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। 

इस लेख में इतना ही आगे आप इन लेखों को पढ़ने के लिए वेबसाइट पर प्रत्येक गुरुवार मध्यरात्रि के बाद विजिट कर सकते हैं, आप इस चैनल को फॉलो करिये और हमारे लेखों पर आते रहिये 

मुझे आज्ञा दें अगले लेख में नई जानकारी के साथ प्रस्तुत अगले गुरुवार को मध्यरात्रि के बाद प्रस्तुत रहूँगा तब तक के लिए नमस्कार, जयसियाराम। 

Astrologer Sanjeev Chaturvedi

Agra, Uttar Pradesh 

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