नमस्कार जय सियाराम
प्रिय पाठकगण !
ज्योतिष के मुख्य दो विभाग हैं पहला गणित दूसरा फलित ये दोनों ही मिलकर ज्योतिष को पूर्ण करते हैं, यहाँ पर मैं आपको फलित के विषय में बताने की कोशिश करूँगा, वो पाठकगण जो ज्योतिष में रूचि रखते हैं, वो पाठक फलित से सम्बंधित लेखों को हमारी वेबसाइट पर आकर पढ़ सकते हैं ये लेख गुरुवार को मध्यरात्रि को प्रसारित हो जाया करेंगे आप इस को गुरुवार मध्यरात्रि के बाद पढ़ सकते हैं। वो पाठकगण जो ज्योतिष समाधान हेतु परेशान रहते हैं वो हमसे ज्योतिषीय परामर्श ले सकते हैं, आप मुझसे कमेंट बॉक्स में कमेंट के माध्यम से भी अपने प्रश्न पूंछ सकते हैं मैं कोशिश करूँगा कि आपके प्रश्नो के उत्तर अधिक से अधिक दे सकूँ।
ज्योतिष में गणित को छोड़ना उचित तो नहीं लगता लेकिन पाठकगण इस गणित से जल्दी ही ऊब न जाएं इसके लिए जब आवश्यक होगा तब इस ज्योतिषीय गणित को थोड़ा थोड़ा आपको बताता रहूँगा।
ज्योतिष में फलित का ज्ञान होने से पहले नक्षत्रों का ज्ञान होना परम आवश्यक है हमारे सौर मंडल में जो तारे (Stars) रात्रि में आपको दिखाई देते हैं उन्ही तारों के समूह को नक्षत्र के नाम से भी जानते हैं, सौर मण्डल के कई तारों के समूह को नक्षत्र की संज्ञा दी गई इन्ही नक्षत्रों की संख्या भारतीय ज्योतिष में 27 है, साथ ही एक नक्षत्र और भी है जिसको अभिजीत नक्षत्र कहते हैं आपको आगे सभी 27 नक्षत्रों के नाम बता रहा हूँ जो इस प्रकार हैं-
१. अश्विन नक्षत्र, २. भरणी नक्षत्र, ३. कृत्तिका नक्षत्र, ४. रोहिणी नक्षत्र, ५. मृगशिरा नक्षत्र, ६. आर्द्रा नक्षत्र, ७. पुनर्वसु नक्षत्र, ८. पुष्य नक्षत्र, ९. आश्लेषा नक्षत्र, १०. मघा नक्षत्र, ११. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, १२. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, १३. हस्त नक्षत्र, १४. चित्रा नक्षत्र, १५. स्वाति नक्षत्र,१६. विशाखा नक्षत्र, १७. अनुराधा नक्षत्र, १८. ज्येष्ठा नक्षत्र, १९. मूल नक्षत्र, २०. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, २१. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, २२. श्रवण नक्षत्र, २३. घनिष्ठा नक्षत्र, २४. शतभिषा नक्षत्र, २५. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, २६. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, २७. रेवती नक्षत्र
इन सभी नक्षत्रों के स्वामी भी हैं और इन सभी नक्षत्रों का “फलित ज्योतिष”(“Falit Jyotish” ) में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है, आज के इस लेख से पाठकों को ये जानकारी अवश्य मिली होगी कि भारतीय ज्योतिष में नक्षत्र कितने हैं और इनका सही क्रम क्या है ऊपर क्रमनुसार नक्षत्र लिखे हैं इनको आप याद करें और अगले गुरुवार तक प्रतीक्षा करें जहाँ लेखनी बंद कर रहा हूँ वही से अगले गुरुवार को पुनः प्रारम्भ करूँगा तब तक के लिए मुझे अनुमति दें।
नमस्कार, जय सियाराम।